इस जड़ी-बूटी को दारुहरिद्रा, दारू हल्दी,rasuat आदि नामों से जाना जाता है आइए जानते हैं यह डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल के साथ और किन बीमारियों के लिए लाभदायक है
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आयुर्वेद के अनुसार दारू हरिद्रा, रसौत को भरपूर एंटीऑक्सीडेंट वाली औषधि के रूप में जाना जाता है यह पौधा अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को अधिक मिलता है लेकिन सही जानकारी ना होने की वजह से लोग इस औषधि के बारे में बहुत ही कम मात्रा में जानते हैं लेकिन यदि इस औषधि का सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह औषधि कई बीमारियों के लिए लाभदायक होती है
यह औषधि विशेष रूप से डायबिटीज कंट्रोल की समस्या और लिवर इत्यादि की समस्या के लिए अधिक फायदेमंद होती है साथ ही साथ जिन लोगों को बवासीर इत्यादि की समस्या होती है उन लोगों के लिए भी यह जड़ी-बूटी अत्यंत लाभकारी सिद्ध होती है
रसौत को सबसे अधिक मात्रा में पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है यह जड़ी बूटी देखने में एक कांटेदार झाड़ी की तरह दिखाई देती है इसके फल छोटे-छोटे और काले काले होते हैं हालांकि इस औषधि की जड़ों का उपयोग अधिक मात्रा में कई सारी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है
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इस औषधि को अंग्रेजी भाषा में “इंडियन बेरबेरी” के नाम से भी जाना जाता है सामान्य तौर पर इसे दारू हल्दी के नाम से ही जाना जाता है जब तक कि इसके सत्त्व को निकालकर उपयोग नहीं किया जाता है दूसरे शब्दों में कहें तो दारू हल्दी का दूसरा रूप ही रसौत है जो कि पेड़ जड़ और फलों को पानी में उबालकर तैयार करने के बाद rasuat के नाम से भी जाना जाता है
हालांकि रसौत का पेड़ और जड़े ही नहीं बल्कि इसके फलों को भी खाने के लिए उपयोग किया जाता है जो कि कई सारे एंटी ऑक्सीडेंट वाले गुणों से भरपूर होता है
rasaut के अंदर एक खास प्रकार का तत्व पाया जाता है जिसे berberine के नाम से जाना जाता है जो कि कई सारे रोगों के लिए टॉनिक की तरह कार्य करने के लिए सक्षम होता है
पेड़ के द्वारा रसौत कैसे तैयार किया जाता है?
यदि आपको कहीं पर या पेड़ दिखाई देता है तो आप इसे बहुत ही आसानी से घर पर ही रसौत तैयार कर सकते हैं रसौत तैयार करने की सबसे आसान विधि यह है कि इसके जड़ों की लकड़ी को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके कम से कम 4 गुना पानी में डालकर उसके तब तक उबालना चाहिए जब तक कि यह पूरी तरह से गाढ़ा ना हो जाए
जब यह पूरी तरह से गाढ़ा हो जाता है तो इसे सुखाया जाता है और सुखा कर किसी भी डब्बे या बरनी आदि में रखा जा सकता है यह काफी लंबे समय तक खराब नहीं होता यहां तक कि यदि आप इसे 1 साल भी रखते हैं तब भी कोई समस्या नहीं है
सामान्य तौर पर इस औषधि को उपयोग करने की मात्रा 250 मिलीग्राम बताई जाती है इसे अधिकतम 1 दिन में एक से दो बार उपयोग किया जा सकता है
हालांकि यदि आपको यह औषधि आसानी से नहीं प्राप्त होती है तो इसे ऑनलाइन भी मंगवाया जा सकता है क्योंकि ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइट अमेजॉन पर यह औषधि आसानी से प्राप्त हो जाती है
ध्यान देने योग्य बातें – यहां पर दी गई जानकारी सामान्य तौर पर समझने के लिए है यह किसी भी रूप से चिकित्सा का विकल्प नहीं है यह जानकारी आयुर्वेदिक ग्रंथों के द्वारा बताई गई औषधियों के अनुसार दी गई है इसीलिए आपको कभी भी इस प्रकार की सामग्री का उपयोग करने से पहले एक बार अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लेनी चाहिए