आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे scope of business economics क्या होता है, एक व्यावसायिक अर्थशास्त्र के रूप में हमारे पास अर्थशास्त्र की अलग शाखा क्यों है? क्योंकि कि जब हम स्टूडेंट रहते हैं, और पढ़ाई कर रहे होते हैं |
तो बहुत सारे लोगों के मन में यह ख्याल आता है, कि हम इकोनॉमिक्स में जो पढ़ाई कर रहे हैं क्या वास्तव में ऐसा होता है उसका वास्तविकता से कोई संबंध है या फिर हम बस सिद्धांत पढ़ रहे हैं और कोई रुचि नहीं आ रहा है |
लेकिन वास्तव में अर्थशास्त्र के हर एक कांसेप्ट का व्यापार जगत में वास्तव में लागू है, और वह कैसे? यही हम आज के इस पोस्ट में जानेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं scope of business economics |
What is scope of business economics
business economics (व्यापार अर्थशास्त्र) का दायरा और अलग-अलग संकल्पना, व्यावसायिक अर्थशास्त्र असली दुनिया में कैसे उपयुक्त होती है | इसके बारे में हम विस्तार में समझेंगे, तो दोस्तों अर्थशास्त्र में,
हम अध्ययन करते हैं मानव व्यवहार | जो सम्बंधित है कौशल संसाधन से, और उसके वैकल्पिक उपयोग से उसी के साथ मानव के असीमित जरूरतों से,
scope of business economics आप हमेशा कोशिश करते हैं कि, आपके पास जो निधि है उसको असीमित रास्ते में, उपयोग करके अपनी ज्यादा से ज्यादा जरूरतों को पूरी कर सके | इसी तरह से जो व्यवसायी है और उनके पास निवेश के लिए जो मौजूद निधि है, वह सीमित होती है उनको यह फैसला लेना पड़ता है कि, वह उस निधि को ज्यादा बेहतर कैसे उपयोग करें, जैसे कि कौन से टाइप का कच्चा माल उपयोग करना है,
कौन से मजदूरों को काम पर रखना है, उत्पादन कितना लेना है, कैसे लेना है, उसे कैसे वितरित करना करना है, ऐसे बहुत सारे फैसले उनको लेने पड़ते हैं | यहां पर (business economics) व्यावसायिक अर्थशास्त्र क्या करता है,
वह अर्थशास्त्र सिद्धांत और मात्रात्मक पद्धति का उपयोग करके, व्यापार उद्यम के निर्णय लेने की प्रक्रिया पर काम करता है |
meaning and scope of business economics
scope of business economics इसी के साथ Business Economics अध्ययन करता है व्यवसाय प्रबंधन, व्यापार विस्तार रणनीति | यह सारे निर्णय के बारे में अध्ययन किया जाता है, इसका मतलब आसान है कि व्यापार उद्यम, व्यावसायिक अर्थशास्त्र का केंद्रीय केंद्र है | यहीं पर अगर बिजनेस एंटरप्राइज की बात करें तो, उनका मुख्य मकसद होता है
अधिकतम लाभ अर्जित करना | और यह अधिकतम लाभ अर्जित करने के लिए ही वह उत्पादन गतिविधि शुरू करते हैं, अंजाम देना शूरू करते हैं, और बाजार में उत्पादन आपूर्ति करते हैं | scope of business economics (बिजनेस इकोनॉमिक्स का दायरा) कहां-कहां पर है | इकोनॉमिक्स की कौन सी कॉन्सेप्ट कहां पर बिजनेस में एक्चुअली इंप्लीमेंट की जाती है |
explain the nature and scope of business economics ||विपणन मांग और आपूर्ति
scope of business economics अर्थशास्त्र के अध्ययन में मुख्य बिंदु मांग और आपूर्ति- चुंकि दो कारक एक साथ है, main point in the study of Economics, मार्केट में price क्या है, यह business economics या फिर business enterprises के लिए बहुत ज्यादा जरूरी होता है, क्योंकि business enterprise का मेन मोटिव होता है अधिक से अधिक लाभ अर्जित करना | लाभ डिपेंड होता है की मार्केट में डिमांड कितनी है |
अगर डिमांड ज्यादा है तो ज्यादा सेल होगी, हम अधिक लाभ उठा सकते हैं | डिमांड कम है तो सेलिंग कम होगी तो लाभ कम होगा | और जो डिमांड होती है वाह प्राइज के ऊपर डिपेंड होती है, इसीलिए उनको हमेशा मार्केट डिमांड एंड सप्लाई का ध्यान रखना पड़ता है |
क्योंकि यह market demand and supply ही है जो मूल्य निर्धारण करता है, जो बिजनेस से इनकी लाभप्रदता है, उनका सफलता उनका असफलता यह सब डिसाइड करता है |
Definition between short run production function and long run production function || scope of business economics
short run function
short run function में 1 साल या उससे कम समय की अवधि, जिसमें हम Variable factors को बदल सकते हैं, लेकिन fixed factor को नहीं बदल सकते हैं |
what is fixed factor and variable factor
fixed factor जो प्रोडक्शन के हिसाब में नहीं बदलते हैं जो हमेशा फिक्स रहते हैं जैसे- plant and machinery |
variable factor जो प्रोडक्शन के हिसाब से आसानी से बदल जाते हैं, अगर हम प्रोडक्शन ज्यादा चाहते हैं तो, variable factor ज्यादा लगाने पड़ेंगे | और अगर आउटपुट कम चाहते हैं तो, variable factor कम लगाने पड़ेंगे |
हालांकि दूसरे शब्दों में समझें तो, fixed factor जो फिक्स रहते हैं | जिन्हें short run में हम बदल नहीं सकते हैं |
variable factor जिन्हें हम short run के दौरान आसानी से बदल सकते हैं वह variable factor कहलाते हैं |
Long run production function
Long run वह समय होता है जिसमें हम variable factor और fixed factor दोनों को आसानी से बदल सकते हैं |
production analysis
production analysis में हम यह देखते है कि उसके पास जो भी साधन है उसे कैसे optimally maximize उपयोग करना है | मतलब फर्म यहां पर मुनाफा उच्चतम सीमा तक करने का कोशिश करती है |
profit formula– economic में profit= कुल राजस्व-कुल लागत, यहां पर फर्म लागत कम से कम करने की कोशिश करती है और राजस्व अधिकतम करने की कोशिश करती है |
cost and profit analysis || लागत और लाभ विश्लेषण
scope of business economics लागत और फायदा फर्म की सफलता के लिए बहुत ही मायने रखती है, जब भी कोई ‘economist’, production analysis में या प्रॉफिट के लिए लागत गणना करता है तो वह company के लागत से ज्यादा अवसर लागत पर फोकस करता है |
• जिस संसाधन का इस्तेमाल किया गया है उसका लागत हो सकता है
• जिस वैकल्पिक संसाधन का इस्तेमाल किया गया वह मूल्य
आर्थिक विश्लेषण में इस्तेमाल किया जाता है
market structure || बाजार का ढांचा
Perfect competition, mono poly, monopolistic competition, oligopoly वास्तव में हम सिर्फ दो कंपटीशन ही फेस कर पाते हैं, monopolistic और oligopoly कहीं-कहीं पर mono poly भी होती है | लेकिन कहीं पर
competition और government की वजह से mono poly होती है, एक बिजनेसमैन को मार्केट स्ट्रक्चर क्या होता है, यह देखना पड़ता है |
pricing
scope of business economics pricing ही वह महत्वपूर्ण कारक है जो फार्म के लाभ का निर्णय करता है और फर्म की कुल राजस्व का भी निर्णय करता है |
objective of the farm
आज तक हम लोगों ने हमेशा सुना है कि फर्म का basic objective होता है अधिकतम लाभ अर्जित करना | और business economics में B.E.A में हमें यह पता चलता है कि, कौन से पॉइंट पर farm लाभ पाना स्टार्ट करती है |
क्योंकि farm जब शुरू में अपने कार्यवाही को स्टार्ट करती है, तो इतनी जल्दी फायदा नहीं मिलता है | क्योंकि उसके लिए पहले investment करना पड़ता है, resources लगाने पड़ते हैं, और इसके बाद प्रॉफिट मिलना आरंभ होता है |
explain the scope of business economics
इसीलिए एक ऐसा समय आता है, जब कंपनी को ना तो फायदा होता है, और ना ही घाटा होता है | जिसे हम break even point कहते हैं और break even point के बाद फार्म लाभ पाना स्टार्ट करती है | सभी फर्म का उद्देश्य लाभ पाना नहीं होता है, कुछ ऐसी भी फर्म होती हैं, जिनका उद्देश्य सिर्फ ग्रो करना होता है |
forecast and business policy
scope of business economics अगर business है तो forecast आता ही है | उदाहरण के लिए- जैसे कि कोई त्यौहार का सीजन आ रहा है और आप हर साल कोई product सेल करते हैं | तो इसके लिए आपको पिछले साल का रिकॉर्ड चेक करना पड़ता है |
जैसे product की demand कितने हैं, प्रोडक्ट का सेल कितना होगा, और प्रॉफिट कितना होगा |
फर्म यह सारी चीजें और calculate करके ही प्रोडक्शन का डिसीजन लेता है तो forecast सिर्फ डिमांड ही नहीं होती है, डिमांड के साथ-साथ डिमांड ट्रैफिक करने वाले फैक्टर भी स्टडी किए जाते हैं | forecast किए जाते हैं, जैसे कि population कितनी है government policy change, international market changing ऐसे बहुत सारे factor study करके ही डिमांड forecast की जाती है | और उसके बाद forecast base पर reproduction का decision लिया जाता है |
Project planing
project planing के अलग-अलग method, हम scope of business economics में स्टडी करते हैं | जैसे कि internal rate of return method या फिर payback period method net present value method | इन सारे method में हम देखते हैं कि, बिजनेस के पास जो लिमिटेड फंड है,
For Example- अगर आपको बिजनेस स्टार्ट करना है, तो आपको देखना पड़ेगा कि आपके पास कितना फंड है, कौन सी मशीनरी इस्तेमाल करनी है, और आपका प्लांट कैसा होगा |अगर आपके पास अलग-अलग प्लान होगा, तो कोई एक ऑप्शन जो आपको लगता है
कि ज्यादा valuable है और आप उसे अच्छी तरह से run कर सकते हैं | इसके लिए आपकी इन्वेस्टमेंट कितनी लगेगी, आपका प्रॉफिट कितना होगा, और किस तरह के रिसोर्सेज का इस्तेमाल करना है | यह सारी चीजें
आपको सेलेक्ट करना होगा | तो सर्वेक्षण को हम business economics के अंदर project planing करते हैं |
Conclusion
दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने समझा scope of business economics के बारे में,
बिजनेस इकोनॉमिक्स क्या है, बिजनेस इकोनॉमिक्स के अंदर कौन-कौन सी चीजें आती हैं |
और इसका दायरा कहां तक है, और कौन-कौन से रिसोर्सेज का इस्तेमाल
हम बिजनेस इकोनॉमिक्स के अंदर करते हैं |
उम्मीद है आपको यह आर्टिकल समझ में आया होगा, अगर आर्टिकल अच्छा लगा तो
इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें | धन्यवाद |
read also :- बिजनेस फुल फॉर्म